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Dec 16, 2012

हर तरफ यही हंगामा चलो चलो चलो .... कहा चले कब तक चलते रहे यूँही बिना वजह ????


पिछले 10 वर्षो में जगह जगह आयोजित सामाजिक कार्यकर्मो में 10 लाख से अधिक की तादात में राजपूत कौम कई तथाकथित ठेकेदारों के सानिध्य में एकत्रित हो चुकी है ! मेरे हिसाब से हर राजपूत का
इन सामाजिक समारोहों में शामिल होने पर एवरेज 500/- (प्रति राजपूत) का खर्चा तो हुआ ही है !
इस हिसाब से 10,00,000 X 500 = 50,00,00000 /- ( पचास करोड़ रु ) इन भव्य आयोजनों पर उड़ाकर इन ठेकेदारों ने समाज को क्या दिया ? उन्नति या अवनति यह आकलन करने का समय है ! क्या यह रुपया समाज को मिलने वाले किसी सरकारी आर्थिक पैकेज से कमतर था ?? क्या इन आयोजनों ने किसी आम राजपूत का हित साधने का किंचित मात्र भी प्रयास किया है ? या अपनी राजनैतिक दुकाने बचाने में आम राजपूत की उर्जा का महज इस्तेमाल करना ही ऐसे आयोजनों का मंतव्य रहा है ? समझ से परे है !!!
 मै आप सभी समाज बंधुओं से जरुर जानना चाहता हूँ की क्या ऐसे ही किसी राजनैतिक कम सामाजिक कार्यकर्मो का आयोजन समाज का भला कर देंगे ? क्या हम किसी भी संघटन के यह कहने मात्र से कही भी चले जायेंगे की """ यह प्रजातंत्र है, सर गिनवाने है, कटवाने की जरुरत नहीं है""

हम आम लोग कब ये बताने का साहस जुटा पायेंगे की हमने लाखो की तादात में सर गिनवाए है विगत 10 वर्षो में, तो फिर सर गिनवाने से होने वाला फायदा कोन खा गया ? या फायदे के नाम पर हमें अब तक क्यों बेवकूफ बनाया जा रहा है ? अरे हम आम लोग है हमारा फ़ायदा नहीं कर सकते तो कम से कम मत करो लेकिन हमारे ''' बच्चो का भविष्य बेचकर ''' आपके बच्चो का भविष्य निर्माण ''' तो किसी कीमत पर नहीं होने देंगे !!

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